छुपे बैठे हो कण कण मे लिरिक्स, Chhupe Baithe Ho Kan Kan Me Lyrics
भजन तर्ज- जगत के रंग क्या देखूं
गायक- विनोद अग्रवाल
भजन- छुपे बैठे हो कण कण मे लिरिक्स, Chhupe Baithe Ho Kan Kan Me Lyrics
छुपे बैठे हो कण कण मे,
भला मैं कैसे पहचानू |
छुपे बैठे हो कण कण मे,
भला मैं कैसे पहचानू |
दुई का दूर कर पर्दा,
सामने आओ तो जानू ||
छुपे माया के पर्दे मे,
क्या मुझसे शर्म आती है |
ये घुंघट दर्मिया पर्दा,
हटा दोगे तो मैं जानू ||
दुई का दूर कर पर्दा,
सामने आओ तो जानू।।
सुना है चाहने वालों से,
हसीनों से हसीं हो तुम |
तो चेहरे से जरा चिल्मन,
हटा दोगे तो मैं जानू ||
दुई का दूर कर पर्दा,
सामने आओ तो जानू।।
ये सुरज चांद से ज्यादा,
अजब जो नूर हे तेरा |
मेरे दिल में वही ज्योति,
जगा दो तो मैं जानू ||
दुई का दूर कर पर्दा,
सामने आओ तो जानू।।
अंधेरी रात कत्ति दूर,
नैय्या भी भंवर मे है |
मेरी नैया किनारे से,
लगा दोगे तो मैं जानू ||
दुई का दूर कर पर्दा,
सामने आओ तो जानू।।
छुपे बैठे हो कण कण मे,
भला मैं कैसे पहचानू |
छुपे बैठे हो कण कण मे,
भला मैं कैसे पहचानू |
दुई का दूर कर पर्दा,
सामने आओ तो जानू ||