Ganga Stotram Lyrics, देवि सुरेश्वरि भगवति गंगे लिरिक्स

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Ganga Stotram Lyrics In Hindi, देवि सुरेश्वरि भगवति गंगे लिरिक्स

Ganga Stotram Lyrics

यहाँ Ganga Stotram Lyrics, देवि सुरेश्वरि भगवति गंगे लिरिक्स दिया गया है –

देवि सुरेश्वरि भगति गंगे त्रिभुवन तारिणि तरल तरंगे |
शंकर मौलि विहारिणि विमले मम मति रास्तां तव पद कमले || 1 ||

भागीरथि सुख दायिनि मातस्तव जल महिमा निगमे ख्यात: |
नाहं जाने तव महि मानं पाहि कृपा मयि माम ज्ञानम || 2 ||

हरि पद पाद्य तरंगिणि गंगे हिम विधु मुक्ता धवल तरंगे |
दूरीकुरू मम दुष्कृति भारं कुरु कृपया भव सागर पारम || 3 ||
तव जलम मलं येन निपीतं परम पदं खलु तेन गृहीतम |
मातर्गंगे त्वयि यो भक्त: किल तं द्रष्टुं न यम: शक्त: || 4 ||

पति तोद्धारिणि जाह्रवि गंगे खण्डित गिरिवर मण्डित भंगे |
भीष्म जननि हेमुनि वर कन्ये पतित निवारिणि त्रिभुवन धन्ये || 5 ||

कल्प लतामिव फलदां लोके प्रणमति यस्त्वां न पतति शोके |
पारावार विहारिणि गंगे विमुख युवति कृत तरला पांगे || 6 ||
तव चेन्मात: स्रोत: स्नात: पुनरपि जठरे सोsपि न जात: |
नरक निवारिणि जाह्रवि गंगे कलुष विनाशिनि महिमोत्तुंगे || 7 ||

पुन रसदड़्गे पुण्यतरंगे जय जय जाह्रवि करूणा पाड़्गे |
इन्द्र मुकुट मणिरा जित चरणे सुखदे शुभदे भृत्य शरण्ये || 8 ||

रोगं शोकं तापं पापं हर मे भगवति कुमति कलापम |
त्रिभुवनसारे वसुधाहारे त्वमसि गतिर्मम खलु संसारे || 9 ||
अलकानन्दे परमानन्दे कुरु करुणामयि कातरवन्द्ये |
तव तटनिकटे यस्य निवास: खलु वैकुण्ठे तस्य निवास: || 10 ||

वरमिह: नीरे कमठो मीन: कि वा तीरे शरट: क्षीण: |
अथवा श्वपचो मलिनो दीनस्तव न हि दूरे नृपति कुलीन: || 11 ||

भो भुव नेश्वरि पुण्ये धन्ये देवि द्रव मयि मुनि वर कन्ये |
गंगास्तव मिमम मलं नित्यं पठति नरो य: सजयति सत्यम || 12 ||
येषां ह्रदये गंगा भक्तिस्तेषां भवति सदा सुख मुक्ति: ।
मधुरा कान्ता पंझटि काभि: परमानन्द कलित ललिताभि: || 13 ||

गंगा स्तोत्र मिदं भव सारं वांछित फलदं विमलं सारम |
शंकर सेवक शंकर चितं पठति सुखी स्तव इति च समाप्त: || 14 ||


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