हेरैं बिकल सुदामा भुलाने हो, मोरा निज कै दइव रिसियाने | होली चौताल लिखा हुआ

हेरैं बिकल सुदामा भुलाऽनेऽऽऽ ! हो,
मोरा निज कै दइव रिसियाने,
मड़इया हेराऽऽऽऽनेऽ !२
पत्थर कै महल बने ऊँची केवाँड़ी,
मर-मर के बनी बड़ी ऊँची अँटारी,
तापर ध्वजा फहराऽऽऽऽनेऽ !२
कहवाँ कै भूप यहाँ चढ़ि आए,
लाइन से लाइन तुरंग बँधाए !२
हाथी झूमि रही पिलखाने,
द्वारे पहला देत दरवाने, मड़इया हेराऽऽऽऽनेऽ !२
हेरैं बिकल सुदामा भुलाऽनेऽऽऽ मोरा !२
लागे सोच करे बिप्र बेचारे,
नाहक गयन हम हरि जी के द्वारे,
नारी कहा हम माऽऽऽऽनीऽ !२
आनै का धन हमैं धनियां पठावा,
तौने कै सजनी आज फल पावा !२
उनकै हलिया रहेन हम जाऽऽऽऽने,
पी-पी, मठवा कीहिन गुजराने,
मड़इया हेराऽऽऽऽनेऽ !२
हेरैं बिकल सुदामा भुलाऽनेऽऽऽ मोरा !२
ठाढ़ी सुशीला परी पिया पइयां,
आवा चला तू घरा मोरे सैंयाँ,
काहें का जातो डेराऽऽनेऽ !२
शिवपरसाद चारिव ओरियाँ निहारैं,
ठुमुकि- ठुमुकि भितरा का पग डारैं !२
अपनी प्यारी को जब पहिचाने,
गोदिया माहि हहकि लिपटाने,
मड़इया हेराऽऽऽऽनेऽ !२
हेरैं बिकल सुदामा भुलाऽनेऽऽऽ मोरा !२
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