Top 10 Jain Bhajan Lyrics | जैन भजन लिरिक्स

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Top 10 Jain Bhajan Lyrics | जैन भजन लिरिक्स

Top 10 Jain Bhajan Lyrics, जैन भजन लिरिक्स
Top 10 Jain Bhajan Lyrics, जैन भजन लिरिक्स

यहाँ नीचे जैन भजन के सबसे प्यारे व सबसे पोपुलर Top 10 Jain Bhajan Lyrics, जैन भजन लिरिक्स दिया गया है –

तुम से लागी लगन पारस प्यारा | Jain Bhajan Lyrics

तुम से लागी लगन,

ले लो अपनी शरण, पारस प्यारा, मेटो मेटो जी संकट हमारा ||

निशदिन तुमको जपूँ, पर से नेह तजूँ, जीवन सारा,

तेरे चरणों में बीत हमारा ||टेक||

अश्वसेन के राजदुलारे, वामा देवी के सुत प्राण प्यारे||

सबसे नेह तोड़ा, जग से मुँह को मोड़ा, संयम धारा ||

मेटो मेटो जी संकट हमारा ||

इंद्र और धरणेन्द्र भी आए, देवी पद्मावती मंगल गाए ||

आशा पूरो सदा, दुःख नहीं पावे कदा, सेवक थारा ||

मेटो मेटो जी संकट हमारा ||

जग के दुःख की तो परवाह नहीं है, स्वर्ग सुख की भी चाह नहीं है||

मेटो जामन मरण, होवे ऐसा यतन, पारस प्यारा ||

मेटो मेटो जी संकट हमारा ||

लाखों बार तुम्हें शीश नवाऊँ, जग के नाथ तुम्हें कैसे पाऊँ ||

पंकज व्याकुल भया, दर्शन बिन ये जिया लागे खारा ||

मेटो मेटो जी संकट हमारा ||

तुम से लागी लगन,

ले लो अपनी शरण, पारस प्यारा, मेटो मेटो जी संकट हमारा ||


केसरिया, केसरिया, आज हमारो मन | Jain Bhajan Lyrics

केसरिया, केसरिया,

आज हमारो मन केसरिया, केसरिया, आज हमारो मन केसरिया ||

तन केसरिया, मन केसरिया, पूजा के चावल केसरिया,

भक्ति में हम सब केसरिया|| केसरिया…||

हम केसरिया, तुम केसरिया, अष्ट द्रव्य सब हैं केसरिया,

मंदिर की है ध्वजा केसरिया, भक्ति में हम सब केसरिया ||

इन्द्र केसरिया, इन्द्राणि केसरिया, सिद्धों की पूजन केसरिया,

पूजा के सब भाव केसरिया, भक्ति में हम सब केसरिया ||

वीर प्रभु की वाणी केसरिया, अहिंसा परमो धर्म केसरिया,

जीयो जीने दो केसरिया, भक्ति में हम सब केसरिया ||

पीछी केसरिया, कमण्डल केसरिया,

दिगम्बर साधु भी केसरिया शत शत वंदन है केसरिया,

भक्ति में हम सब केसरिया ||

स्वर्णिम रथ देखो केसरिया, स्वर्ण वरण प्रभुजी केसरिया,

छत्र चंवर ध्वज सब केसरिया, भक्ति में हम सब केसरिया ||


पलके ही पलके हम बिछाएंगे | Jain Bhajan Lyrics

पलके ही पलके हम बिछाएंगे,

जिस दिन मेरे गुरुवर घर आएंगे, मीठे मीठे भजन सुनाएंगे,

जिस दिन मेरे गुरुवर घर आएंगे ||

हम तो है गुरुवर के जन्मो से दीवाने, पलके ही पलके हम बिछाएंगे,

जिस दिन मेरे गुरुवर घर आएंगे ||

घर का कोना-कोना हमने फूलों से सजाया,

बंधनवार सजाई, घी का दीपक जलाया ||

भक्त जनों को हम बुलाएंगे, जिस दिन मेरे गुरुवर घर आएंगे,

पलके ही पलके हम बिछाएंगे, जिस दिन मेरे गुरुवर घर आएंगे ||

गंगाजल की धार से गुरु को न्हावन कराऊं,

भोग लगाऊं, लाड़ लड़ाऊं, आरती उतारू ||

खुशबू ही खुशबू हम उड़ाएंगे, जिस दिन मेरे गुरुवर घर आएंगे,

पलके ही पलके हम बिछाएंगे, जिस दिन मेरे गुरुवर घर आएंगे ||

अब तो एक ही लगन लगी है, प्रेमसुधा बरसा दो,

जनम जनम की मैली चादर, अपने रंग रंगा दो ||

जीवन को सफल बनाएंगे, जिस दिन मेरे गुरुवर घर आएंगे,

पलके ही पलके हम बिछाएंगे, जिस दिन मेरे गुरुवर घर आएंगे ||

पलके ही पलके हम बिछाएंगे, जिस दिन मेरे गुरुवर घर आएंगे,

मीठे मीठे भजन सुनाएंगे, जिस दिन मेरे गुरुवर घर आएंगे ||

हम तो है गुरुवर के जन्मो से दीवाने, पलके ही पलके हम बिछाएंगे,

जिस दिन मेरे गुरुवर घर आएंगे ||

 

पंखीडा ओ पंखींडा जैन भजन लिरिक्स

पंखिड़ा ओ पंखिड़ा.. पंखिड़ा ओ पंखिड़ा


पंखिड़ा तू उड़ के जाना पावापुरी रे, (2)

महावीर प्रभु को कहना भक्त आए हैं। (2)


बड़े भाव से.. बड़े भाव से..

बड़े भाव से भक्त तेरे द्वार आए हैं,

तेरे दर्शन की आस पूरी करने आए हैं,

दर पे तेरे कबसे खड़े आस लगाए हैं (2)

महावीर प्रभु को कहना भक्त आए हैं। (2)

पंखिड़ा…


पावापुरी धाम.. पावापुरी धाम..

पावापुरी धाम की महिमा देखो न्यारी है,

जल मंदिर की देखो शोभा कैसी प्यारी है,

मन से देखो दिल से देखो भाव से देखो रे (2)

महावीर प्रभु को कहना भक्त आए हैं। (2)

पंखिड़ा…


दूर दूर से.. दूर दूर से..

दूर दूर से नर नारी यहां आए हैं,

प्रभु वीर जी की पूजा यहां करने आए हैं,

दीप लाए धूप लाए पुष्प लाए हैं (2)

महावीर प्रभु को कहना भक्त आए हैं। (2)

पंखिड़ा…


पारस जिनंदा मोरी | Jain Bhajan Lyrics

पार्श्व जिणंदा वामाजी केनंदा, तुम पर वारी जाऊंबोल बोल रे,
हां रे दरवाजे तेरे खोल खोल रे, पार्श्व जिणंदा…
दूर दूर देश से, लंबी सफर से
हम दर्शन आए तोल तोल रे
हां रे दरवाजे तेरे खोल खोल रे…॥१॥

पूजा करूंगी, धूप करूंगी,
फूल चढ़ाऊंगी मोल मोल रे
हां रे दरवाजे तेरे खोल खोल रे…॥२॥

तू मेरा ठाकर मैं तेरा चाकर,
एक बार मुख सुं बोल बोल रे,
हां रे दरवाजे तेरे खोल खोल रे…॥३॥

श्री शंखेश्वर सुंदर मूरत,
मुंखडुं तो झाकम झोल झोल रे,
हां रे दरवाजे तेरे खोल खोल रे…॥४॥

रूप विबुधनों, मोहन पभणे,
रंग लाग्यो चित्त चोल चोल रे,
हां रे दरवाजे तेरे खोल खोल रे…… ॥५॥


तेरी शीतल शीतल मूरत लख | Jain Bhajan Lyrics

तर्ज : तेरी प्यारी प्यारी सूरत को ससुराल/Jain Bhajan Lyrics,

तेरी शीतल-शीतल मूरत

तर्ज: तेरी प्यारी प्यारी सूरत को…

 

तेरी शीतल-शीतल मूरत लख

कहीं भी नजर ना जमें, प्रभू शीतल

सूरत को निहारें पल पल तब

छबि दूजी नजर ना जमें! प्रभू शीतल ॥

 

भव दु:ख दाह सही है घोर

कर्म बली पर चला न जोर

तुम मुख चन्द्र निहार मिली अब

परम शान्ति सुख शीतल ढोर

निज पर का ज्ञान जगे घट में भव बंधन भीड़ थमें ॥ प्रभू..

 

सकल ज्ञेय के ज्ञायक हो, एक तुम्ही जग नायक हो

वीतराग सर्वज्ञ प्रभू तुम, निज स्वरूप शिवदायक हो

`सौभाग्य’ सफल हो नर जीवन, गति पंचम धाम धमे ॥ प्रभू ..


तेरे दरशन से मेरा दिल खिल गया | Jain Bhajan Lyrics

Jain Bhajan Lyrics, जैन भजन लिरिक्स
Jain Bhajan Lyrics, जैन भजन लिरिक्स

तर्ज : इक परदेशी मेरा दिल ले गया/Jain Bhajan Lyrics,

तेरे दर्शन से मेरा दिल

तर्ज: इक परदेसी मेरा दिल…

तेरे दर्शन से मेरा दिल खिल गया

मुक्ति के महल का सुराज्य मिल गया

आतम के सुज्ञान का सुभान हो गया

भव का विनाशी तत्त्वज्ञान हो गया ॥टेर॥

 

तेरी सच्ची प्रीत की यही है निशानी

भोगों से छूट बने आतम सुध्यानी

कर्मों की जीत का सुसाज मिल गया ॥ मुक्ति के.. ।१।

 

तेरी परतीत हरे व्याधियाँ पुरानी

जामन मरण हर दे शिवरानी

प्रभो सुख शान्ति सुमन आज खिल गया ॥ मुक्ति के.. ।२।

 

ज्ञानानन्द अतुल धन राशी

सिद्ध समान वरूँ अविनाशी

यही सौभाग्य” शिवराज मिल गया ॥ मुक्ति के .. ।३।

फूलो का तारो का सबका कहना है Jain Bhajan Lyrics

तर्ज – फूलो का तारो का सबका/Jain Bhajan Lyrics, जैन भजन लिरिक्स

फूलो का तारो का सबका कहना है,
एक हजारो मेंरे गुरुवर है,
सारी उमर गुरु की भक्ति करना है,
फूलो का तारो का सबका कहना हैं,
एक हजारो मेंरे गुरुवर है,
सारी उमर गुरु की भक्ति करना है,
फूलो का तारो का सबका कहना है।।


ये ना जाना दुनिया ने,
गुरु भक्ति में है प्यार,
जो भी करता गुरु भक्ति,
वो हो जाता भव से पार,
आ गुरु के पास आ,
कुछ पुण्य कमाना है,
एक हजारो मेंरे गुरुवर है,
सारी उमर गुरु की भक्ति करना है,
फूलो का तारो का सबका कहना है।।


भोली भाली समता की,
सूरत जैसा तू,
प्यारी प्यारी जादू की,
मूरत जैसा तू,
हम सभी भक्तो का,
यही तो कहना है,
एक हजारो मेंरे गुरुवर है,
सारी उमर गुरु की भक्ति करना है,
फूलो का तारो का सबका कहना है।।


देखो गुरूवर हम सब है,
एक डाली के फूल,
सब कुछ भूल जाना,
हमको ना जाना भूल,
उनके चरणों में जीवन बिताना है,
एक हजारो मेंरे गुरुवर है,
सारी उमर गुरु की भक्ति करना है,
फूलो का तारो का सबका कहना है।।


फूलो का तारो का सबका कहना है,
एक हजारो मेंरे गुरुवर है,
सारी उमर गुरु की भक्ति करना है,
फूलो का तारो का सबका कहना हैं,
एक हजारो मेंरे गुरुवर है,
सारी उमर गुरु की भक्ति करना है,
फूलो का तारो का सबका कहना है।।


ओ गुरूसा जैन भजन लिरिक्स | Jain Bhajan Lyrics

ओ गुरु सा थोरो चेलो बनु में
के थोरो चेलो बनु में
हर पल तेरे साथ रहु में . . .
पहला रुषभ देव िजनजी ने वोंदु ( २ )
के चौवीसमा महावीर स्वामी देवन को
हर पल तेरे साथ रहु में
श्रावन का महीना होगा, उसमे होगी राखी ( २ )
तु राखी तेरी डोर बनु मे ( २ )
हरपल तेरे साथ रहु में
ओ गुरुसा . . .

 

अनंत चोवीसी ने नीत उठ वोंदु ( २ )
के वीस विहरमण देवण को
हर पल तेरे साथ रहु में . . .
भादरवा मिहना होगा, उसमे होगी बारीश ( २ )
तु बादल तेरी बुंद बनु में
हरपल तेरे साथ रहु में
ओ गुरुसा . . .

 

ग्यारह गणधर जिनजी ने वोन्दू-2
तरण तारण गुरु देवन को ,
हर पल तेरे साथ रहू मैं
कार्तिक का महीना होगा उसमे होगी दीवाली-2 ,
तू दीपक तेरी ज्योत बनु मैं-2,
हर पल तेरे साथ रहू मैं , ओ गुरूसा
ओ गुरूसा …

 

थोरो चेलो बनु मै-2

सोलवा श्री शांतिनाथ जिनजी ने वोन्दू-2
तेविस्मा पार्श्वनाथ देवन को ,
हर पल तेरे साथ रहू मैं
फागुण का महीना होगा उसमे होगी होली-2
तू पिचकारी तेरा रंग बनु मैं-2, ह
र पल तेरे साथ रहू मैं, ओ गुरूसा
ओ गुरूसा

थोरो चेलो बनु मैं ,की थोरो चेलो बनु मैं


मेरी भावना : जैन पाठ | Jain Bhajan Lyrics

Jain Bhajan Lyrics, जैन भजन लिरिक्स
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जिसने रागद्वेष कामादिक जीते सब जग जान लिया।

सब जीवों को मोक्षमार्ग का निस्पृह हो उपदेश दिया॥

बुद्ध, वीर, जिन, हरि, हर, ब्रह्मा या उसको स्वाधीन कहो।

भक्ति भाव से प्रेरित हो यह चित्त उसी में लीन रहो॥ 1॥

 

विषयों की आशा नहिं, जिनके साम्य भाव धन रखते हैं।

निज पर के हित साधन में जो, निशदिन तत्पर रहते हैं।

स्वार्थ त्याग की कठिन तपस्या, बिना खेद जो करते हैं।

ऐसे ज्ञानी साधु जगत के, दुख समूह को हरते हैं॥ 2॥

 

रहे सदा सत्संग उन्हीं का, ध्यान उन्हीं का नित्य रहे।

उन ही जैसी चर्या में यह, चित्त सदा अनुरक्त रहे॥

नहीं सताऊँ किसी जीव को, झूठ कभी नहीं कहा करूँ ।

परधन वनिता पर न लुभाऊँ , संतोषामृत पिया करूँ॥ 3॥

 

अहंकार का भाव न रक्खूँ, नहीं किसी पर क्रोध करूँ ।

देख दूसरों की बढ़ती को, कभी न ईष्र्या-भाव धरूँ॥

रहे भावना ऐसी मेरी, सरल सत्य व्यवहार करूँ।

बने जहाँ तक इस जीवन में, औरों का उपकार करूँ ॥ 4॥

 

मैत्री भाव जगत में मेरा सब जीवों से नित्य रहे।

दीन-दुखी जीवों पर मेरे उर से करुणा स्रोत बहे॥

दुर्जन क्रूर – कुमार्गरतों पर, क्षोभ नहीं मुझको आवे।

साम्यभाव रक्खूँ मैं उन पर, ऐसी परिणति हो जावे॥ 5॥

 

गुणीजनों को देख हृदय में, मेरे प्रेम उमड़ आवे।

बने जहाँ तक उनकी सेवा, करके यह मन सुख पावे॥

होऊँ नहीं कृतघ्न कभी मैं, द्रोह न मेरे उर आवे।

गुण ग्रहण का भाव रहे नित, दृष्टि न दोषों पर जावे॥ 6॥

 

कोई बुरा कहो या अच्छा, लक्ष्मी आवे या जावे।

लाखों वर्षों तक जीऊँ या, मृत्यु आज ही आ जावे॥

अथवा कोई कैसा ही भय, या लालच देने आवे।

तो भी न्याय-मार्ग से मेरा, कभी न पग डिगने पावे॥ 7॥

 

होकर सुख में मग्न न फूलै दुख में कभी न घबरावे।

पर्वत नदी श्मशान भयानक, अटवी से नहिं भय खावे॥

रहे अडोल अकम्प निरन्तर, यह मन दृढ़तर बन जावे।

इष्टवियोग अनिष्टयोग में, सहनशीलता दिखलावे॥ 8॥

 

सुखी रहें सब जीव जगत के, कोई कभी न घबरावे।

बैर-पाप अभिमान छोड़ जग, नित्य नये मंगल गावे॥

घर-घर चर्चा रहे धर्म की, दुष्कृत-दुष्कर हो जावे।

ज्ञानचरित उन्नत कर अपना, मनुजजन्म फल सब पावे॥ 9॥

 

ईति-भीति व्यापे नहिं जग में, वृष्टि समय पर हुआ करे,

धर्म-निष्ठ होकर राजा भी, न्याय प्रजा का किया करे।

रोग-मरी-दुर्भिक्ष न फैले, प्रजा शान्ति से जिया करे।

परम अहिंसा धर्म जगत में, फैल सर्वहित किया करे॥10॥

 

फैले प्रेम परस्पर जग में, मोह दूर ही रहा करे।

अप्रिय-कटुक-कठोर शब्द नहिं, कोई मुख से कहा करे॥

बनकर सब युगवीर हृदय से, देशोन्नति रत रहा करे।

वस्तु स्वरूप विचार खुशी से,सब दुख संकट सहा करे॥11॥


आलोचना-पाठ | Jain Bhajan Lyrics

वंदौं पाँचों परम गुरु, चौबीसों जिनराज।

करूँ शुद्ध आलोचना, शुद्धिकरण के काज॥ १॥

 

सुनिये जिन अरज हमारी, हम दोष किये अति भारी।

तिनकी अब निर्वृत्ति काजा, तुम सरन लही जिनराजा॥ २॥

 

इक वे ते चउ इन्द्री वा, मनरहित-सहित जे जीवा।

तिनकी नहिं करुणा धारी, निरदय ह्वै घात विचारी॥ ३॥

 

समरंभ समारंभ आरंभ, मन वच तन कीने प्रारंभ।

कृत कारित मोदन करिकै , क्रोधादि चतुष्टय धरिकै ॥ ४॥

 

शत आठ जु इमि भेदन तैं, अघ कीने परिछेदन तैं।

तिनकी कहुँ कोलों कहानी, तुम जानत केवलज्ञानी॥ ५॥

 

विपरीत एकांत विनय के, संशय अज्ञान कुनय के।

वश होय घोर अघ कीने, वचतैं नहिं जाय कहीने॥ ६॥

 

कुगुरुन की सेवा कीनी, केवल अदयाकरि भीनी।

या विधि मिथ्यात भ्ऱमायो, चहुंगति मधि दोष उपायो॥ ७॥

 

हिंसा पुनि झूठ जु चोरी, परवनिता सों दृगजोरी।

आरंभ परिग्रह भीनो, पन पाप जु या विधि कीनो॥ ८॥

 

सपरस रसना घ्राननको, चखु कान विषय-सेवनको।

बहु करम किये मनमाने, कछु न्याय अन्याय न जाने॥ ९॥

 

फल पंच उदम्बर खाये, मधु मांस मद्य चित चाहे।

नहिं अष्ट मूलगुण धारे, सेये कुविसन दुखकारे॥ १०॥

 

दुइबीस अभख जिन गाये, सो भी निशदिन भुंजाये।

कछु भेदाभेद न पायो, ज्यों-त्यों करि उदर भरायो॥ ११॥

 

अनंतानु जु बंधी जानो, प्रत्याख्यान अप्रत्याख्यानो।

संज्वलन चौकड़ी गुनिये, सब भेद जु षोडश गुनिये॥ १२॥

 

परिहास अरति रति शोग, भय ग्लानि त्रिवेद संयोग।

पनबीस जु भेद भये इम, इनके वश पाप किये हम॥ १३॥

 

निद्रावश शयन कराई, सुपने मधि दोष लगाई।

फिर जागि विषय-वन धायो, नानाविध विष-फल खायो॥१४||

 

आहार विहार निहारा, इनमें नहिं जतन विचारा।

बिन देखी धरी उठाई, बिन शोधी वस्तु जु खाई॥ १५॥

 

तब ही परमाद सतायो, बहुविधि विकलप उपजायो।

कछु सुधि बुधि नाहिं रही है, मिथ्यामति छाय गयी है॥ १६॥

 

मरजादा तुम ढिंग लीनी, ताहू में दोस जु कीनी।

भिनभिन अब कैसे कहिये, तुम ज्ञानविषैं सब पइये॥ १७॥

 

हा हा! मैं दुठ अपराधी, त्रसजीवन राशि विराधी।

थावर की जतन न कीनी, उर में करुना नहिं लीनी॥ १८॥

 

पृथिवी बहु खोद कराई, महलादिक जागां चिनाई।

पुनि बिन गाल्यो जल ढोल्यो,पंखातैं पवन बिलोल्यो॥ १९॥

 

हा हा! मैं अदयाचारी, बहु हरितकाय जु विदारी।

तामधि जीवन के खंदा, हम खाये धरि आनंदा॥ २०॥

 

हा हा! परमाद बसाई, बिन देखे अगनि जलाई।

तामधि जीव जु आये, ते हू परलोक सिधाये॥ २१॥

 

बींध्यो अन राति पिसायो, ईंधन बिन-सोधि जलायो।

झाडू ले जागां बुहारी, चींटी आदिक जीव बिदारी॥ २२॥

 

जल छानि जिवानी कीनी, सो हू पुनि-डारि जु दीनी।

नहिं जल-थानक पहुँचाई, किरिया बिन पाप उपाई॥ २३॥

 

जलमल मोरिन गिरवायो, कृमिकुल बहुघात करायो।

नदियन बिच चीर धुवाये, कोसन के जीव मराये॥ २४॥

 

अन्नादिक शोध कराई, तामें जु जीव निसराई।

तिनका नहिं जतन कराया, गलियारैं धूप डराया॥ २५॥

 

पुनि द्रव्य कमावन काजे, बहु आरंभ हिंसा साजे।

किये तिसनावश अघ भारी, करुना नहिं रंच विचारी॥ २६॥

 

इत्यादिक पाप अनंता, हम कीने श्री भगवंता।

संतति चिरकाल उपाई, वानी तैं कहिय न जाई॥ २७॥

 

ताको जु उदय अब आयो, नानाविध मोहि सतायो।

फल भुँजत जिय दुख पावै, वचतैं कैसें करि गावै॥ २८॥

 

तुम जानत केवलज्ञानी, दुख दूर करो शिवथानी।

हम तो तुम शरण लही है जिन तारन विरद सही है॥ २९॥

 

इक गांवपती जो होवे, सो भी दुखिया दुख खोवै।

तुम तीन भुवन के स्वामी, दुख मेटहु अन्तरजामी॥ ३०॥

 

द्रोपदि को चीर बढ़ायो, सीता प्रति कमल रचायो।

अंजन से किये अकामी, दुख मेटो अन्तरजामी॥ ३१॥

 

मेरे अवगुन न चितारो, प्रभु अपनो विरद सम्हारो।

सब दोषरहित करि स्वामी, दुख मेटहु अन्तरजामी॥ ३२॥

 

इंद्रादिक पद नहिं चाहूँ, विषयनि में नाहिं लुभाऊँ ।

रागादिक दोष हरीजे, परमातम निजपद दीजे॥ ३३॥

दोहा

दोष रहित जिनदेवजी, निजपद दीज्यो मोय।

सब जीवन के सुख बढ़ै, आनंद-मंगल होय॥ ३४॥

 

अनुभव माणिक पारखी, जौहरी आप जिनन्द।

ये ही वर मोहि दीजिये, चरन-शरन आनन्द॥ ३५॥

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Jain Bhajan Lyrics, जैन भजन लिरिक्स के इस पोस्ट में कुल 10 + भजन दिए गए हैं जिन्हें समय समय पर अपडेट करते रहने से यह संख्या 10 से भी ज्यादा होती जाती है |

जैन मत भारत की श्रमण परम्परा से निकला प्राचीन मत और दर्शन है, जैन अर्थात् कर्मों का नाश करने वाले ‘तीर्थंकर भगवान महावीर’ के अनुयायी, सिन्धु घाटी से मिले जैन अवशेष जैन मत को सबसे प्राचीन मत का दर्जा देते है |

जय जिनेंद्र – यह संस्कृत के दो अक्षरों के मेल से बना है जय और जिनेन्द्र, जय शब्द जिनेन्द्र भगवान के गुणों की प्रशंसा के लिए उपयोग किया जाता है, जिनेन्द्र उन आत्माओं के लिए प्रयोग किया जाता है जिन्होंने अपने मन, वचन और काया को जीत लिया और केवल ज्ञान प्राप्त कर लिया हो |

जैन धर्म महान भारत के सबसे पुराने धर्मो में से एक है, इतिहासकारो के अनुसार यह 5000 वर्षों से भी पुराना है | माना जाता है कि जैन धर्म की उत्पत्ति 3000 ईसा पूर्व सिन्धु घाटी सभ्यता के समय हुई थी |

जी हां, जैन भजन लिरिक्स में Top 10 Jain Bhajan Lyrics दिए गये हैं जो की आपको अत्यधिक पसंद आने वाले हैं |

जैन भजन (Jain Bhajan Lyrics) में तीर्थंकर भगवान महावीर व जैन धर्म से सम्बंधित भजन होते हैं |

आशा करता हूँ की यह Top 10 Jain Bhajan Lyrics, जैन भजन लिरिक्स जरुर पसंद आया होगा |


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