कहैं राधे से कृष्ण कन्हाई राधे जायो ना हमसे रिसाई – होली चौताल लिखा हुआ

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कहैं राधे से कृष्ण कन्हाई राधे जायो ना हमसे रिसाई – होली चौताल लिखा हुआ

कहैं राधे से कृष्ण कन्हाई राधे जायो ना हमसे रिसाई - होली चौताल लिखा हुआ
कहैं राधे से कृष्ण कन्हाई राधे जायो ना हमसे रिसाई – होली चौताल लिखा हुआ

कहैं राधे से कृष्ण कन्हाऽऽऽई !!!
राधे ! जायो ना हमसे रिसाऽऽऽई !!!!
करबै सब बिधि से सेवकाई ! पलँग बैठाऽऽऽऽई !

लागे गरमियाँ तो बेनियाँं डोलउबै !
हथवा और गोड़वा दूनौ दबउबै !
देहिंयाँ मा तेल लगाऽऽऽई !
देहिंयाँ मा तेल लगाऽऽऽई !
अरे पतरी कमरिया करै लचकनियां,
देहिंयाँ मा तेल लगाऽऽऽई !२
तूहैं नहवाइ देब भरि पनियाँ !
“साया-साड़ी” छाँटि देब दिलजनियाँ !
तुहँका खाना बनाइ खवाऽऽऽई,
चौका बरतन करबै सफाई, पलँग बैठाऽऽऽऽई !२

गोरी जायो ना हमसे रिसाऽऽऽई !
करबै सब बिधि से सेवकाई !
पैदल ना चलिहौ तो कनियाँ उठइबै,
कनियाँ उठाइके बजार लै जइबै,
लै देबै अच्छी मिठाऽऽऽई !२
पेड़ा बर्फी लड्डू जलेबी बालूसाही ।
सब लै देबै जवन कुछ चाही ।।
खायो हँसि हमका हँसाऽऽई !
दिह्यो जूठन थोड़ा बचाई, पलँग बैठाऽऽऽई !

राधे ! जायो ना हमसे रिसाऽऽऽई !!!!
करबै सब बिधि से सेवकाई !
पलँग बैठाऽऽऽऽई !
तोहँके लै अइबै बनारस की साड़ी,
पटना से रेशम की चोलिया करारी,
पहिरो नजर मोसे माऽऽऽरी !२
गले कै हरवा औ नाक नथनियाँ !
पउवाँ कै पयल, कमर करधनियाँ !२
सगरौ गहना देब गढ़वाऽऽऽई !
कहैं राधे से कृष्ण कन्हाई, पलँग बैठाऽऽऽई !२
राधे ! जायो ना हमसे रिसाऽऽऽई !!!!
करबै सब बिधि से सेवकाई ! पलँग बैठाऽऽऽऽई !

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