Lakshmi Puja Mantra लक्ष्मी मंत्र और पूजन विधि हिंदी में

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Table of contents

लक्ष्मी मंत्र और पूजन विधि | Lakshmi Puja Mantra, Aarti & Vidhi In Hindi | लक्ष्मी गणेश मंत्र के लाभ

यहाँ – लक्ष्मी मंत्र और पूजन विधि, Lakshmi Puja Mantra, Aarti & Vidhi दिया गया है- भजन/मन्त्र -​​ लक्ष्मी मंत्र और पूजन विधि, Lakshmi Ganesh Mantra

Lakshmi Puja Mantra (लक्ष्मी पूजन मंत्र)

Lakshmi Puja Mantra त्वमेकः सर्व भूतेषु स्थावारेषु चरेषु च | परमात्मा पराकारः प्रदीपः नमोस्तुते || सत्यं च येन निरतं रोगं विधूतं, अन्वेषितं च सविधिं आरोग्यमस्य | गूढं निगूढं औषध्यरूपम्, धन्वन्तरिं च सततं प्रणमामि नित्यं॥

भावार्थ:- जिन्होंने समस्त रोगों को दूर किया, औसधियों और निरोगी रहने की विधि बताई, जिन्होंने ओषधियों के छुपे रहस्य बताया, उन धन्वंतरी भगवान बार-बार प्रणाम करता हूँ ॥

सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्टभयंकरि | सर्वदुःखहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तुते॥

भावार्थ:- सब जानने वाली, सारे वर देने वाली, सब दुष्टों को भयभीत कर देने वाली, सब दुःखों को हरने वाली देवी महालक्ष्मी, तुम्हे नमन है |

Lakshmi Mantra Slokas (लक्ष्मी मन्त्र श्लोक)

शुभं करोति कल्याणं आरोग्यं धनसंपदा | शत्रुबुद्धि-विनाशाय दीपज्योती नमोऽस्तुते ||

माँ लक्ष्मी मंत्र, Lakshmi Puja Mantra

ॐ श्रीं ह्रीं श्री कमले कमलालयै मम प्रसीद-प्रसीद वरदे श्रीं ह्रीं श्री महालक्ष्म्यै नम: || ॐ श्रीं श्रियै नम: स्वाहा | महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं सुरेश्वरी | हरी प्रिये नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं दयानिधे ||

माता लक्ष्मी मंत्र, Lakshmi Puja Mantra

सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि | मन्त्रपूते सदा देवि महालक्ष्मि नमोस्तु ते ॥ भावार्थ:- सिद्धि, बुद्धि और भक्ति फल दयानी मोक्ष प्रदान करने वाली, मनोवांछित फल प्रदायनी हे माता महालक्ष्मी मैं आपको प्रणाम करता हूँ॥


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गणेश जी का मंत्र स्तुति (Lakshmi Puja Mantra)

खर्वं स्थूलतनुं गजेन्द्रवदनं लम्बोदरं सुन्दरंप्रस्यन्दन्मदगन्धलुब्धमधुपव्यालोलगण्डस्थलम् | दन्ताघातविदारितारिरुधिरैः सिन्दूरशोभाकरंवन्दे शैलसुतासुतं गणपतिं सिद्धिप्रदं कामदम् ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः | भावार्थ:- जो नाटे और मोटे शरीरवाले हैं, जिनका गजराजके समान मुख और लम्बा उदर है, जो सुन्दर हैं तथा बहते हुए मदकी सुगन्धके लोभी भौंरोके चाटने से जिनका गण्डस्थल चपल हो रहा है, दाँतोंकी चोट से विदीर्ण हुए शत्रुओंके खूनसे जो सिन्दूरकी-सी शोभा धारण करते हैं, कामनाओंके दाता और सिद्धि देनेवाले उन पार्वतीके पुत्र गणेशजीकी मैं वन्दना करता हूँ |

महालक्ष्मी सिद्धि मंत्र (Lakshmi Puja Mantra)

किसी भी गुलाबी आसन पर उत्तराभिमुख हों बैठ जाएं। कमलासन पर विराजमान लक्ष्मी माता का सुंदर चित्र हो या श्रीयंत्र हो। तब कमल गट्‍टे की माला से निम्न मंत्र का सवा लाख बार जाप करें।

मंत्र : ”ऊं श्रीं ह्रीं श्री कमलालये प्रसीद प्रसीद श्री ह्रीं श्री महालक्ष्म्यै नम:।।” जप के बाद : हवन में तिल, जौ, श्रीफल, बिल्वफल, कमल, कमलगट्‍टे, लाजा, गुगल, भोजपत्र, शक्कर, इत्यादि से दशांस होम कर लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं।

स्थिर लक्ष्मी प्राप्ति मन्त्र, Lakshmi Puja Mantra

हवन सामग्री – पांचो मेवा, मिश्री, शुद्ध देशी घी एवं जाप के लिए कमल गट्‍टे की माला | किसी भी शुद्ध आसन पर उत्तराभिमुख हों बैठ जाएं। कमलासन पर विराजमान लक्ष्मी माता का सुंदर चित्र हो या श्रीयंत्र हो। तब कमल गट्‍टे की माला से निम्न मंत्र का 108 बार जाप करें |

जाप करते हुए प्रति मन्त्र पर हवन करें | मंत्र : ”ऊं श्रीं ह्रीं श्री कमलालये प्रसीद प्रसीद श्री ह्रीं श्री महालक्ष्म्यै नम:।।” जप के बाद : हवन में तिल, जौ, श्रीफल, बिल्वफल, कमल, कमलगट्‍टे, लाजा, गुगल, भोजपत्र, शक्कर, इत्यादि से दशांस होम कर लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं। Lakshmi Puja Mantra

लक्ष्मी पूजन के लिए जरूरी सामग्री (Lakshmi Puja Mantra)

कलावा, रोली, सिंदूर, एक नारियल, अक्षत, लाल वस्त्र , फूल, पांच सुपारी, लौंग, पान के पत्ते, घी, कलश, कलश हेतु आम का पल्लव, चौकी, समिधा, हवन कुण्ड, हवन सामग्री, कमल गट्टे, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल), फल, बताशे, मिठाईयां, पूजा में बैठने हेतु आसन, हल्दी, अगरबत्ती, कुमकुम, इत्र, दीपक, रूई, आरती की थाली | कुशा, रक्त चंदनद, श्रीखंड चंदन |

लक्ष्मी पूजा की तैयारी (Lakshmi Puja Mantra)

पूजन शुरू करने से पहले गणेश लक्ष्मी के विराजने के स्थान पर रंगोली बनाएं | जिस चौकी पर पूजन कर रहे हैं उसके चारों कोने पर एक-एक दीपक जलाएं | इसके बाद प्रतिमा स्थापित करने वाले स्थान पर कच्चे चावल रखें फिर गणेश और लक्ष्मी की प्रतिमा को विराजमान करें |

इस दिन लक्ष्मी, गणेश के साथ कुबेर, सरस्वती एवं काली माता की पूजा का भी विधान है अगर इनकी मूर्ति हो तो उन्हें भी पूजन स्थल पर विराजमान करें | ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु की पूजा के बिना देवी लक्ष्मी की पूजा अधूरी रहती है | इसलिए भगवान विष्ण के बायीं ओर रखकर देवी लक्ष्मी की पूजा करें |

लक्ष्मी पूजन विधि और मंत्र, Lakshmi Puja Mantra and Vidhi

दिवाली पूजन आरंभ करें पवित्री मंत्र सेः ऊं अपवित्र: पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोऽपिवा | य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचि:॥ इन मंत्रों से अपने ऊपर तथा आसन और पूजन सामग्री पर 3-3 बार कुशा या पुष्पादि से छींटें लगाएं | आचमन करें – ऊं केशवाय नम: ऊं माधवाय नम:, ऊं नारायणाय नम:, फिर हाथ धोएं |

इस मंत्र से आसन शुद्ध करें- ऊं पृथ्वी त्वयाधृता लोका देवि त्यवं विष्णुनाधृता | त्वं च धारयमां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥ अब चंदन लगाएं | अनामिका उंगली से श्रीखंड चंदन लगाते हुए मंत्र बोलें – चन्दनस्य महत्पुण्यम् पवित्रं पापनाशनम्, आपदां हरते नित्यम् लक्ष्मी तिष्ठ सर्वदा |

लक्ष्मी पूजन के लिए संकल्प मंत्र | Lakshmi Puja Sankalp Mantra

बिना संकल्प के पूजन पूर्ण नहीं होता इसलिए संकल्प करें | पुष्प, फल, सुपारी, पान, चांदी का सिक्का, नारियल (पानी वाला), मिठाई, मेवा, आदि सभी सामग्री थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर संकल्प मंत्र बोलें-

ऊं विष्णुर्विष्णुर्विष्णु:, ऊं तत्सदद्य श्री पुराणपुरुषोत्तमस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्य ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीय पराद्र्धे श्री श्वेतवाराहकल्पे सप्तमे वैवस्वतमन्वन्तरे, अष्टाविंशतितमे कलियुगे, कलिप्रथम चरणे जम्बुद्वीपे भरतखण्डे आर्यावर्तान्तर्गत ब्रह्मवर्तैकदेशे पुण्य (अपने नगर/गांव का नाम लें) क्षेत्रे बौद्धावतारे वीर विक्रमादित्यनृपते : 20७८, (यहाँ सम्वत्सर जो वर्तमान में हो उसे बोलते है) तमेऽब्दे अमुक नाम संवत्सरे दक्षिणायने हेमंत ऋतो महामंगल्यप्रदे मासानां मासोत्तमे कार्तिक मासे कृष्ण पक्षे अमावस तिथौ अमुकवासरे अमुक नक्षत्रे अमुक योगे अमुक करणादिसत्सुशुभे योग (गोत्र का नाम लें) गोत्रोत्पन्नोऽहं अमुकनामा (अपना नाम लें) सकलपापक्षयपूर्वकं सर्वारिष्ट शांतिनिमित्तं सर्वमंगलकामनया– श्रुतिस्मृत्यो- क्तफलप्राप्तर्थं— निमित्त महागणपति नवग्रहप्रणव सहितं कुलदेवतानां पूजनसहितं स्थिर लक्ष्मी महालक्ष्मी देवी पूजन निमित्तं एतत्सर्वं शुभ-पूजोपचारविधि सम्पादयिष्ये |

(अमुक के स्थान पर वर्तमान संवत्सर, दिन, नक्षत्र, योग एवं करण का नाम बोले)

कलश की पूजा करें, Kalash Puja (Lakshmi Puja Mantra)

कलश-पूजन :- जल से भरे हुए तांबे के कलश को मौली बाँधकर उस पर पीपल के पांच पत्ते रखें, उस पर एक नारियल रखें व सभी तीर्थ-नदियों का निम्न मंत्र से आवाहन करें :-

गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति | नर्मदे सिंधु कावेरि जलेऽस्मिन् संनिधिं कुरु ॥ फिर भगवान सूर्य को प्रार्थना करें कि वे इस कलश को तीर्थत्व प्रदान करें :- ब्रह्माण्ड कर तीर्थानि करे स्पृष्टानि ते रवै | तेन सत्येन मे देव तीर्थ देहि दिवाकर || इसके बाद उस कलश को पूर्व आदि चारों दिशाओं में तिलक करेंगे |

नारियल पर भी तिलक कर व चावल चढ़ाकर अपने आगे भूमि पर कुमकुम से एक स्वास्तिक बनाकर उस पर स्थापित करें | अब भगवान वासुदेव को प्रार्थना करें कि वरुण कलश के रूप में स्थित आप हमारे परिवार में शांति व सात्विक लक्ष्मी की वृद्धि करें | हाथ में पुष्प लेकर निम्न मंत्र से माँ सरस्वती का मानसिक ध्यान कर पुष्प श्वेत आसन पर चढ़ा दें :-

माँ सरस्वती ध्यान मंत्र (Lakshmi Puja Mnatra)

शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमामाद्यां जगद्व्यापिनीं वीणापुस्तकधारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम् | हस्ते स्फाटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम् वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम् ॥

जिनका रूप श्वेत है, जो ब्रह्म विचार परम तत्व हैं, जो सब संसार में व्याप रही हैं, जो हाथों में वीणा और पुस्तक धारण किये रहती हैं, अभय देती हैं, मूर्खता रूपी अंधकार को दूर करती हैं, हाथ में स्फटिक मणि की माला लिये रहती हैं, कमल के आसन पर विराजमान हैं और बुद्धि देने वाली हैं, उन आद्या परमेश्वरी भगवती सरस्वती की मैं वंदना करता हूँ | फिर

कुबेर ध्यान मंत्र ( Lakshmi Puja Mantra)

‘ॐ कुबेराय नमः’ इस मंत्र से कुबेर का ध्यान करते हुए अपनी तिजोरी आदि में हल्दी, दक्षिणा, दूर्वा आदि रखें | ॐ शुभमस्तु ॥

दीपावली गणेश पूजा मंत्र विधि | Lakshmi Ganesh Puja Mantra and Vidhi

नियमानुसार सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें | हाथ में फूल लेकर गणेश जी का ध्यान करें | मंत्र बोलें- गजाननम्भूतगणादिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम् | उमासुतं शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम् |

आवाहन मंत्र- हाथ में अक्षत लेकर बोलें -ऊं गं गणपतये इहागच्छ इह तिष्ठ || अक्षत पात्र में अक्षत छोड़ें |

पद्य, आर्घ्य, स्नान, आचमन मंत्र –

एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम् ऊं गं गणपतये नम: | इस मंत्र से चंदन लगाएं: इदम् रक्त चंदनम् लेपनम् ऊं गं गणपतये नम:, इसके बाद- इदम् श्रीखंड चंदनम् बोलकर श्रीखंड चंदन लगाएं |

अब सिन्दूर लगाएं “इदं सिन्दूराभरणं लेपनम् ऊं गं गणपतये नम: | दूर्वा और विल्बपत्र भी गणेश जी को चढ़ाएं | गणेश जी को लाल वस्त्र पहनाएं | इदं रक्त वस्त्रं ऊं गं गणपतये समर्पयामि |

गणेश जी को प्रसाद चढ़ाएं:

इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं गं गणपतये समर्पयामि: |

मिठाई अर्पित करने के लिए मंत्र: – इदं शर्करा घृत युक्त नैवेद्यं ऊं गं गणपतये समर्पयामि: | अब आचमन कराएं | इदं आचमनयं ऊं गं गणपतये नम: | इसके बाद पान सुपारी दें: इदं ताम्बूल पुगीफल समायुक्तं ऊं गं गणपतये समर्पयामि: | अब एक फूल लेकर गणपति पर चढ़ाएं और बोलें: एष: पुष्पान्जलि ऊं गं गणपतये नम: |

कलश पूजन के बाद कुबेर और इंद्र सहित सभी देवी देवताओं की पूजा गणेश पूजन की तरह करें | बस गणेश जी के स्थान पर संबंधित देवी-देवताओं के नाम लें |

दीपावली लक्ष्मी पूजन विधि मंत्र | Lakshmi Lakshmi Puja Mantra and Vidhi

इस वर्ष आपके घर धन का आगमन होता रहे और माता लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहे इसके लिए दिवाली की शाम शास्त्रों में लक्ष्मी माता के साथ गणेश और कुबेर की पूजा का विधान बताया गया है।

शास्त्रों में कहा गया है कि कार्तिक कृष्ण अमावस्या तिथि को प्रदोष काल में स्थिर लग्न में दिवाली पूजन करने से अन्न-धन की प्राप्ति होती है। जो लोग तंत्र विद्या से देवी की पूजा करते हैं उन्हें आधी रात के समय निशीथ काल में पूजा करनी चाहिए। गृहस्थों के लिए दीपावली पूजा की विधि जानें।

माता लक्ष्मी का ध्यान मन्त्र

ॐ या सा पद्मासनस्था, विपुल-कटि-तटी, पद्म-दलायताक्षी | गम्भीरावर्त-नाभिः, स्तन-भर-नमिता, शुभ्र-वस्त्रोत्तरीया || लक्ष्मी दिव्यैर्गजेन्द्रैः | ज-खचितैः, स्नापिता हेम-कुम्भैः | नित्यं सा पद्म-हस्ता, मम वसतु गृहे, सर्व-मांगल्य-युक्ता || अब हाथ में अक्षत लेकर बोलें ॐ भूर्भुवः स्वः महालक्ष्मी, इहागच्छ इह तिष्ठ, एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम् |

प्रतिष्ठा के बाद स्नान कराएं (Lakshmi Puja Mantra)

ॐ मन्दाकिन्या समानीतैः, हेमाम्भोरुह-वासितैः स्नानं कुरुष्व देवेशि, सलिलं च सुगन्धिभिः || ॐ लक्ष्म्यै नमः || इदं रक्त चंदनम् लेपनम् से रक्त चंदन लगाएं |

इदं सिन्दूराभरणं से सिन्दूर लगाएं

ॐ मन्दार-पारिजाताद्यैः, अनेकैः कुसुमैः शुभैः | पूजयामि शिवे, भक्तया, कमलायै नमो नमः || ॐ लक्ष्म्यै नमः, पुष्पाणि समर्पयामि | इस मंत्र से पुष्प चढ़ाएं फिर माला पहनाएं |

अब लक्ष्मी देवी को इदं रक्त वस्त्र समर्पयामि कहकर लाल वस्त्र पहनाएं |

देवी लक्ष्मी की अंग पूजा मंत्र एवं विधि | Lakshmi Lakshmi Ang Puja Mantra and Vidhi

बाएं हाथ में अक्षत लेकर दाएं हाथ से थोड़ा-थोड़ा अक्षत छोड़ते जाएं— ऊं चपलायै नम: पादौ पूजयामि ऊं चंचलायै नम: जानूं पूजयामि, ऊं कमलायै नम: कटि पूजयामि, ऊं कात्यायिन्यै नम: नाभि पूजयामि, ऊं जगन्मातरे नम: जठरं पूजयामि, ऊं विश्ववल्लभायै नम: वक्षस्थल पूजयामि, ऊं कमलवासिन्यै नम: भुजौ पूजयामि, ऊं कमल पत्राक्ष्य नम: नेत्रत्रयं पूजयामि, ऊं श्रियै नम: शिरं: पूजयामि |

अष्टसिद्धि पूजन मंत्र और विधि | Lakshmi Ashtsiddhi Puja Mantra and Vidhi

अंग पूजन की भांति हाथ में अक्षत लेकर मंत्र बोलें | ऊं अणिम्ने नम:, ओं महिम्ने नम:, ऊं गरिम्णे नम:, ओं लघिम्ने नम:, ऊं प्राप्त्यै नम: ऊं प्राकाम्यै नम:, ऊं ईशितायै नम: ओं वशितायै नम: | ऐसे करें लक्ष्मी-गणेश पूजन की तैयारी, इन बातों का रखें ध्यान

अष्टलक्ष्मी पूजन मंत्र और विधि | Lakshmi Ashtlakshmi Puja Mantra and Vidhi

अंग पूजन एवं अष्टसिद्धि पूजा की भांति हाथ में अक्षत लेकर मंत्रोच्चारण करें | ऊं आद्ये लक्ष्म्यै नम:, ओं विद्यालक्ष्म्यै नम:, ऊं सौभाग्य लक्ष्म्यै नम:, ओं अमृत लक्ष्म्यै नम:, ऊं लक्ष्म्यै नम:, ऊं सत्य लक्ष्म्यै नम:, ऊं भोगलक्ष्म्यै नम:, ऊं योग लक्ष्म्यै नम:

प्रसाद अर्पित करने का मंत्र, Lakshmi Puja Mantra and Vidhi

इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं महालक्ष्मियै समर्पयामि” मंत्र से नैवैद्य अर्पित करें | मिठाई अर्पित करने के लिए मंत्र: “इदं शर्करा घृत समायुक्तं नैवेद्यं ऊं महालक्ष्मियै समर्पयामि” बालें |

प्रसाद अर्पित करने के बाद आचमन कराएं | इदं आचमनयं ऊं महालक्ष्मियै नम: |

इसके बाद पान सुपारी चढ़ाएं:- इदं ताम्बूल पुगीफल समायुक्तं ऊं महालक्ष्मियै समर्पयामि |

अब एक फूल लेकर लक्ष्मी देवी पर चढ़ाएं और बोलें: एष: पुष्पान्जलि ऊं महालक्ष्मियै नम: |

लक्ष्मी देवी की पूजा के बाद भगवान विष्णु एवं शिव जी पूजा करने का विधान है | व्यापारी लोग गल्ले की पूजा करें | पूजन के बाद क्षमा प्रार्थना और आरती करें |

क्षमा-प्रार्थना मंत्र

पूजा पूर्ण होने के बाद मां से जाने-अनजाने हुए सभी भूलों के लिए क्षमा-प्रार्थना करें |

उन्हें कहें- मां न मैं आह्वान करना जानता हूँ, न विसर्जन करना | पूजा-कर्म भी मैं नहीं जानता | हे परमेश्वरि! मुझे क्षमा करो | मन्त्र, क्रिया और भक्ति से रहित जो कुछ पूजा मैंने की है, हे देवि! वह मेरी पूजा सम्पूर्ण हो | यथा-सम्भव प्राप्त उपचार-वस्तुओं से मैंने जो यह पूजन किया है, उससे आप भगवती श्रीलक्ष्मी प्रसन्न हों |

गणेश एवं लक्ष्मी जी की आरती | Ganesh Lakshmi Aarti | Lakshmi Puja Aarti (Lakshmi Puja Mantra)

गणेश एवं लक्ष्मी जी की आरती के लिए यहाँ क्लिक करें – गणेश एवं लक्ष्मी जी की आरती  

Lakshmi Mnatra FAQ’s | लक्ष्मी मंत्र से सम्बंधित प्रश्नोत्तरी

“ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नम” ये मां लक्ष्मी का बीज मंत्र माना जाता है. ऐसा माना जाता इस मंत्र के नियमित जाप करने से इंसान का आत्मविश्वास बढ़ता है. मान्यता है कि इस मंत्र के जाप से आर्थिक तंगी नहीं रहती और इंसान के कष्ट दूर हो जाते हैं. “ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ”

ऊँ नमः विष्णुप्रियाय, ऊँ नमः शिवप्रियाय, ऊँ नमः कामाक्षाय ह्रीं ह्रीं श्रीं श्रीं फट् स्वाहा। प्रयोग विधि- धूप-दीप से पूजन और नैवेद्य अर्पित करके इस मंत्र का सवा लाख जप करें, लक्ष्मी का आगमन व चमत्कार प्रत्यक्ष दिखाई देगा। प्रत्येक कार्य सफल होगा, लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी।

जब भी किसी शुभ कार्य के लिए जाएं तो पहले मीठा दही खाएं। उसके बाद घर से निकलें। अगर शुक्रवार के दिन लक्ष्मी जी के मंदिर में शंख, कोड़ी, कमल का फूल, मखाने, बताशे, खीर और गुलाब का इत्र चढ़ाया जाए तो मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं।

जिन घरों में लोग महिलाओं का अपमान करते हैं या फिर उनके साथ मार-पीट करते हैं, उनके घर में कभी मां लक्ष्मी का वास नहीं होता है। इसके साथ ही घर के बड़े-बुजुर्गों और गरीबों का अपमान करने पर भी मां लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं।

महालक्ष्मी मंत्र: “ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्ये नम:” मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इस मंत्र का जाप किया जाता है। खासतौर से इस मंत्र के जाप से कर्ज से मुक्ति मिलने की मान्यता है।

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