सखि उठिकर करहु सिंगार बसन्त जाये | Sakhi Uthikar Holi Chautal in Hindi
सखि उठिकर करहु सिंगार बसन्त जाये ||
बाजुबन्द कंगन भल सोहे अँगुरिन नेपुर भाय ||
पहिरि बिजायठ हार जो सोहत, सिर बेन्दी मन लाये ||१ ||
करि सिंगार पलंगपर बैठी पिया पिया गोहराय ||
मैं बिरहिनि पिया बात न पूछत, तब जोबन जोर जनाय ||२ ||
चोलिया मसके बन्द सब टूटे अंग अंग थहराय ||
कामके बिरह सहा नहीं जातहो, गोरी सोचनमें तन छाय ||३ ||
पियपिय बोल पपिहरा बोलत सुनि सुनि धीर न आये ||
लालबिहारी धीर धरावत, गोरी धीर धरो मन माय ||४ ||