श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्र अर्थ सहित, Shiv Panchakshar Stotram Lyrics
श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्र, Shiv Panchakshar Stotram – Anuradha Paudwal
Shiv Mantra -Panchakshar stotram Lyrics
Singer – Anuradha Paudwal
Label – T-Series
यहाँ श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्र लिरिक्स, Shiv Panchakshar Stotram Lyrics दिया गया है-
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय
भास्माङगारागाया महेश्वराय
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय
तस्मै न कराय नमः शिवाय
मंदाकिनी सलिलचन्दन चर्चिताय
नन्दीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय
मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय
तस्मै म काराय नमः शिवाय
शिवाय गौरिवदनाब्जवृन्द
सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय
तस्मै शि काराय नमः शिवाय
वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य
मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय
चन्द्रार्क वैश्वानरलोचनाय
तस्मै व काराय नमः शिवाय
यक्षस्वरूपाय जटाधराय
पिनाकहस्ताय सनातनाय
दिव्याय देवाय दिगम्बराय
तस्मै य काराय नमः शिवाय
पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवस्न्निधौ
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते
|| इति श्रीमद् शंकराचार्य विरचितं
शिवपञ्चाक्षरस्तोत्रम सम्पूर्णम ||
श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्र, Shiv Panchakshar Meaning in Hindi
श्रीशिवपञ्चाक्षर स्तोत्र के रचयिता आदि गुरु शंकराचार्य हैं,शाश्त्र अनुसार मानव शरीर पांच तत्वों से बना है, और ये पांच अक्षर इन्हीं पंचतत्व देवतक हैं.
न से पृथ्वी तत्व का, म से जल तत्व का, शि से अग्नि तत्व का, वा से वायु तत्व का, य से आकाश तत्व का
शिवपञ्चाक्षर इस स्तोत्र में अत्यंत मनमोहक रूप से भगवान शिव की स्तुति की गयी है-
Shiv Panchakshar Stotra Meaning in Hindi
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय
भास्माङगारागाया महेश्वराय
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय
तस्मै न कराय नमः शिवाय
भावार्थ – जिसका अर्थ है जिनके कंठ में सांपो की माला है, जिनके तीन आँखे हैं, भस्म ही जिनके अंग पर अंगराग है और दिशायें जिनका वस्त्र हैं अर्थात जो दिगम्बर (निर्वस्त्र) हैं, ऐसे शुद्ध अविनाशी महेश्वर न कारस्वरूप शिव को नमस्कार है.
मंदाकिनी सलिलचन्दन चर्चिताय
नन्दीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय
मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय
तस्मै म काराय नमः शिवाय
भावार्थ – गंगाजल और चन्दन से जिनकी अर्चना हुई है, मदार पुष्प तथा अन्य पुष्पों से जिनकी भली-भांति पूजा हुई है, नंदी के अधिपति, प्रमथगणों (शिवगणों) के स्वामी महेश्वर म कारस्वरूप शिव को नमस्कार है.
शिवाय गौरिवदनाब्जवृन्द
सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय
तस्मै शि काराय नमः शिवाय
भावार्थ – जो कल्याणस्वरूप है, पार्वतीजी को प्रसन्न करने के लिए जो सुर्यस्वरूप हैं, जो दक्ष के यज्ञ का नाश करनेवाले हैं, जिनकी ध्वजा में वृषभ (बैल) का चिन्ह शोभायमान है, ऐसे नीलकंठ शि कारास्वरूप शिव को नमस्कार है.
वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य
मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय
चन्द्रार्क वैश्वानरलोचनाय
तस्मै व काराय नमः शिवाय
भावार्थ – वसिष्ठ मुनि, अगस्त्य ऋषि और गौतम ऋषि तथा इन्द्र आदि देवताओं ने जिनके मस्तक की पूजा की है, चन्दमा, सूर्य और अग्नि जिनके नेत्र हैं, ऐसे व कारस्वरूप शिव को नमस्कार है.
यक्षस्वरूपाय जटाधराय
पिनाकहस्ताय सनातनाय
दिव्याय देवाय दिगम्बराय
तस्मै य काराय नमः शिवाय
भावार्थ – जिन्होंने दूसरों की रक्षा करनेवाला यक्ष का रूप धारण किया है, जो जटाधारी हैं, जिनके हाथ में पिनाक धनुष है, जो दिव्य सनातन पुरुष हैं, ऐसे दिगम्बर देव य कारस्वरूप शिव को नमस्कार है.
पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवस्न्निधौ
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते
भावार्थ – जो शिव के समीप इस पवित्र पञ्चाक्षर स्तोत्र का पाठ करता है, वह शिवलोक को प्राप्त होता है और वहाँ शिवजी के साथ आनन्दित होता है.||