वादी संवादी और अनुवादी किसे कहते हैं, What Is Vadi Samvadi And Vivadi
किसी राग के सबसे मुख्य स्वर को Vadi कहते हैं, अर्थात राग के अन्य स्वरों के अपेक्षा जिस स्वर पर ज्यादा देर तक ठहरा जाता है एवं जिसका प्रयोग अन्य स्वरों की अपेक्षा बार – बार किया जाता है वह उस राग का वादी स्वर कहलाता है | तो अब हम आज के पोस्ट में What Is Vadi Samvadi and Vivadi इस टॉपिक को पूरी तरह से जानने वाले हैं |(वादी संवादी और अनुवादी किसे कहते हैं | What Is Vadi Samvadi And Vivadi)
वादी और अनुवादी किसे कहते हैं
आज हम Indian Claasical Music में वादी विवादी अनुवादी और संवादी क्या होता है, कैसे और कहाँ प्रयोग करते हैं ? इस बारे में विस्तारपूर्वक जानने वाले हैं | हिन्दुस्तानी संगीत में रागों के अध्ययन के समय हमें Vadi Samvadi Anuvadi and Vivadi के बारे में जरूर बताया जाता है क्योंकि ये इंडियन क्लासिकल म्यूजिक में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं |
(वादी संवादी और अनुवादी किसे कहते हैं | What Is Vadi Samvadi And Vivadi)
रागों के स्वरूप की रचना इनके बिना संभव ही नहीं है | जिस प्रकार प्राणियों में उनको यह जानने के लिए की वह मनुष्य है अथवा पशु उनके रचनाओं में भिन्नता होती है ठीक वैसे ही रागों को पहचानने के लिए उनके Vadi Samvadi Anuvadi aur Vivadi दिए होते हैं जिससे उनके स्वरुप की जानकारी होती है |
- “अलग – अलग रागों के अपने – अपने Vadi Samvadi Anuvadi and Vivadi स्वर होते हैं जिससे उनके स्वरुप की रचना होती है |” आप सभी ने लगभग वादी, विवादी, अनुवादि और संवादी के बारे में जरूर सुना होगा | आज हम इस विषय पर विस्तार से जानेगें |
चलिए सबसे पहले हम वादी, अनुवादी और संवादी को संक्षिप्त में समझते हैं –
Vaadi Samvaadi Aur Anuvaadi Kise Kahate Hain
Indian Claasical Music में रागों में प्रयोग किये जाने वाले स्वरों को तीन श्रेणियों में रखा गया है |
1. वादी 2. संवादी 3. अनुवादी |
किसी राग के सबसे मुख्य स्वर को वादी कहते हैं, अर्थात राग के अन्य स्वरों के अपेक्षा जिस स्वर पर ज्यादा देर तक ठहरा जाता है एवं जिसका प्रयोग अन्य स्वरों की अपेक्षा बार – बार किया जाता है वह उस राग का वादी स्वर कहलाता है |
- जैसे – राग बिलावल में “ध” को वादी माना गया है, हमरे दुसरे पोस्ट राग बिलावल में आप देख सकते है कि “ध” को कितना महत्व दिया गया है | वादी स्वर को अंश स्वर या जीव स्वर अथवा प्रधान स्वर भी कहते हैं |
- राग में वादी स्वर का इतना अधिक महत्व होता है कि दो रागों में स्वरों की समानता होते हुए भी केवल वादी स्वर के परिवर्तन से दोनों राग एक दुसरे से बिलकुल अलग हो जाते हैं |
वादी स्वर किसे कहते हैं?
किसी राग के सबसे मुख्य स्वर को वादी कहते हैं, अर्थात राग के अन्य स्वरों के अपेक्षा जिस स्वर पर ज्यादा देर तक ठहरा जाता है एवं जिसका प्रयोग अन्य स्वरों की अपेक्षा बार – बार किया जाता है वह उस राग का वादी स्वर कहलाता है |(वादी संवादी और अनुवादी किसे कहते हैं | What Is Vadi Samvadi And Vivadi)
- वादी स्वर के द्वारा राग के गायन का साधारण टाइम भी पता चलता है | राग का यह नियम है की अगर किसी राग का वादी स्वर सप्तक के पूर्वांग (सा, रे, ग, म और प) में से कोई स्वर है |
तो उसका गायन समय दिन के पूर्व अंग अर्थात दिन के 12 बजे के बाद से लेकर रात्रि के 12 बजे तक किसी समय होगा |(वादी संवादी और अनुवादी किसे कहते हैं | What Is Vadi Samvadi And Vivadi)
- इसके विपरीत जिस किसी राग का वादी स्वर सप्तक के उत्रांग (म, प, ध, नि और सा) में से कोई एक स्वर है तो उसका गायन समय दिन के उत्तरांग में अर्थात 12 बजे रात्रि के बाद से लेकर 12बजे दिन के बीच मेंकिसी समय में हो सकता है |वादी संवादी और अनुवादी किसे कहते हैं | What Is Vadi Samvadi And Vivadi
संवादी स्वर किसे कहते हैं?
किसी भी राग का दूसरा मुख्य स्वर संवादी कहलाता है | इसका प्रयोग तथा न्यास अर्थात ठहराव, वादी की अपेक्षा कुछ कम और अन्य स्वरों की अपेक्षा ज्यादा होता है |(वादी संवादी और अनुवादी किसे कहते हैं | What Is Vadi Samvadi And Vivadi)
वादी स्वर के बाद इसी स्वर का नम्बर दुसरे स्थान पर आता है क्योंकि यह वादी स्वर का परम सहायक होता है और उससे अटूट सम्बन्ध स्थापित किये रहता है |(वादी संवादी और अनुवादी किसे कहते हैं | What Is Vadi Samvadi And Vivadi)
- वादी और संवादी स्वरों के बीच में चार अथवा पांच स्वरों की दूरी रहती है | इसका तात्पर्य यह है की वादी संवादी में अगर किसी को षडज मान लिया जाए तो दूसरा स्वर या तो उसका मध्यम और या तो उसका पंचम होगा |
जैसे राग बिलावल के पोस्ट में हमनें देखा था कि ध वादी है और ग संवादी है तो उसी को उदाहरण के रूप में समझ लेते हैं |(वादी संवादी और अनुवादी किसे कहते हैं | What Is Vadi Samvadi And Vivadi)
उदाहरण-
अगर हम ध को सा मान लेतें हैं तो ग हमरा पंचम होगा | जैसे –
सा रे ग म प | ध नि सा रे ग
1 2 3 4 5 | 1 2 3 4 5
इसी तरह खमाज में ग-नि वादी- संवादी हैं |
(वादी संवादी और अनुवादी किसे कहते हैं | What Is Vadi Samvadi And Vivadi)
अगर हम ग को सा मान लेतें है तो नि उसका प होगा | सप्तक में सा म, रे प, ग ध, म नि और प सां स्वरों के बीच षडज – माध्यम भाव तथा सा प, रे ध, ग नि और म सां स्वरों में षडज पंचम भाव रहता है |
अनुवादि स्वर किसे कहते हैं?
वादी और संवादी स्वर के बाद शेष स्वर अनुवादी कहे जाते हैं |
उदाहरण के लिए राग बिलावल में ध और ग के अतिरिक्त जो क्रम से वादी संवादी हैं, राग के शेष स्वर अनुवादि कहलाते हैं |”अनुवादी स्वरों को अनुचर की उपमा दी गयी है |”
विवादी स्वर किसे कहते हैं?
वह स्वर जिसे लगाने उस राग स्वरुप बिगड़ता हो उसे उस राग का विवादी स्वर कहते हैं | विवादी स्वर को राग का शत्रु भी कहा गया है | कभी – कभी सुन्दरता बढ़ाने के लिए विवादी स्वर का छणिक प्रयोग भी कर लिया जाता है | ऐसा करते समय हमें अत्यधिक सावधानी रखनी पड़ती है वरना राग का स्वरुप बिगड़ने का भय भी रहता है |
विवादी स्वर को प्रयोग करते समय हमें यह ध्यान रखना होता है की उसकी मधुरता बढ़े केवल प्रयोग के लिए न करें वरना राग की हानि होती है एवं इसका अल्प प्रयोग करें ऐसा न करने से विवादी स्वर अनुवादी बन जायेगा |
आशा करता हूँ की –
वादी संवादी और अनुवादी किसे कहते हैं | What Is Vadi, Samvadi, Anuvadi and Vivadi की जानकारी आपको अवश्य पसंद आई होगी और आपके लिए लाभप्रद होगी | यदि आपके मन में इससे सम्बंधित कोई भी प्रश्न हो तो आप कमेन्ट करके हमसे जरूर पूंछ सकते हैं |